फिज़ा में महकती शाम हो तुम
बड़े अरमान से बनवाया है;
इसे रोशनी से सजाया है;
बहुत दूर से मंगवाया है;
ज़रा खिड़की खोल के देखो आपको गुड मोर्निंग कहने सूरज आया है।
सुप्रभात!

फिज़ा में महकती शाम हो तुम;
प्यार में छलकता जाम हो तुम;
सीने में छुपाए फिरते हैं हम याद तुम्हारी;
मेरी जिंदगी का दूसरा नाम हो तुम
सुप्रभात!
आज सुबह सूरज बिलकुल आप जैसा निकला;
बिलकुल वही ख़ूबसूरती लिए;
वही नूर; वही गुरुर; वही सुरूर;
और वही आपकी तरह हमसे कोसो (बहुत) दूर।
सुप्रभात!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें